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बस यूही बाते
रात की ख़ामोशी छान कर लायी हैं
छान कर लायी है एक बीती बात तुम्हारी
एक बीती बात जो कहा था सबने भूल जाओ ,,होता है
होता वही है जो सही होता है
और सही क्या वही है।, जो होता है
एक मेरी ही तो बात थी, मेरे ही तो साथ थी
मेरे जैसे हज़ारो थे
हज़ारो के संग भी एक यही बात थी
बात वही थी
जो होता है.. जो होता है सही होता है
मैं रात भर सोई नहीं, सोच रही थी
ऐसी भी क्या बात थी ,ऐसे भी कैसे सही थी
सही हो कर कही नहीं थी
तुमने देखा था पर कुछ कहा नहीं
तुमने सुना पर सुन कर भी सुना नहीं
क्या यह बीएस इस रात की बात थी ?
क्या यह सिर्फ मेरे ही साथ थी?
वो बात थी जिसकी चर्चा सबने की
सबने की वही बात थी पर जॉब बात हुई
तब किसी ने बात नहीं की
इस वक़्त मैं भी चुप थी
क्योकि यह बात मेरी नहीं थी
हाँ बीएस वही बात थी
जो होता है सही होता है
इस बार बात मेरी नहीं थी, लकिन थी
थी वही, जज़्बात वही, घुटन वही
वही परेशानी , वही झिझक
वही डरा सा मासूम चेहरा
पर बात मेरी नहीं थी, लकिन थी
येह बाते आखिर है ही क्यों ?
इस बार चलो कथं करे
बातो को बनने ही न दे
मई जूझ गयी , तो समझ गयी
रात जो बात लायी थी
वो बात सिर्फ मेरी नहीं थी।
क्युकी हर हो घटना होती है।
या हर वो चीज़ जो होती है.
सही नहीं होती
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