वो सड़क का किनारा किनारा, वो सड़क का किनारा जो थामे था चार रहो को वो सड़क का किनारा एक टीन की छत चार बॉस के खम्बो के सहारे था जब भी बारिश होती बचने का वही सहारा था वो सड़क का किनारा छोटी सी थी मैं छोटे मेरे कदम थे उस वक्त न सोचा था कितने नसीब वाले हम थे एक परिवार चलाता था उस से अपना गुज़ारा वो सड़क का किनारा गीली हुई बारिश से ठण्ड में काँप रही थी मैं देने को आना न था , चाय पिलाई थी माँ ने मेरी ना सही , पर कि...
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वो सड़क का किनारा किनारा, वो सड़क का किनारा जो थामे था चार रहो को वो सड़क का किनारा एक टीन की छत चार बॉस के खम्बो के सहारे था जब भी बारिश होती बचने का वही सहारा था वो सड़क का किनारा छोटी सी थी मैं छोटे मेरे कदम थे उस वक्त न सोचा था कितने नसीब वाले हम थे एक परिवार चलाता था उस से अपना गुज़ारा वो सड़क का किनारा गीली हुई बारिश से ठण्ड में काँप रही थी मैं देने को आना न था , चाय पिलाई थी माँ ने मेरी ना सही , पर किसी की माँ थी वो आज भी सर्दी में चाय बहुत याद आती है वो वही, छोटा सा था उनका बसेरा वो सड़क का किनारा एक नन्ही सी जान गोंद में थी ...