जीना ही तेरी मंजिल है जीना ही तेरी मंजिल है साँस लेता रह, यह रास्ता तेरे बुझने से पहले खत्म न होगा रह मुश्किल है तेरी अभी आँख भी धुंधली है और साँसों की गर्मी भी नरम है अभी रह मुश्किल है तेरी तूझ से पहले कई दीये जले थे कुछो की लौ अभी तक भभक रही थी कुछो ने अर्द्धरात्रि में ही दम तोड़ दिया याद रखना सदा जीना ही तेरी मंज़िल है संगर्ष की उम्र तुझ से लंबी है लेकिन जो संतोष प्रयत्न करने में है वो संतोष मंज़िल मिल जाने के बाद कहा कौन जाने राह के पार क्या है तेरी ज़िन्दगी मुश्किल है तो क्या नामुमकिन तो नहीं तू यही दम तोड़ दे यह मुनासिफ तो नहीं रह है मुश्किल तो होगी ही इस के बाद कोई न कोई मंजिल तो होगी ही चादर ओढ़ के नम्र का तू विनम्र रहे यह ज़रूरी तो नहीं झुंझला कर धुप से प्यासा हो जायेगा जब ब...
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