रिश्ते दे दे मौत और कर दे रिहा की जीना मुझे गवारा नहीं नहीं है मुकम्ल ये ज़िन्दगी हर मोड पे साया है हर नव्ज़ दुखती है सर फटने को आया है आँख भर आती है दिल टूट जाता है जब भी कोई रिश्ता टूटता नज़र आता है अब जीना मुझे गवारा नहीं दे दे मौत और कर दे रिहा फूटे घड़े में जैसे रेत भर गयी हो तिनका-तिनका विस्वास गिर रहा है मेरे चिरागो तले जैसे मेरा साया जल रहा है रिश्ते उनके है बन के बिखरेंगे लेकिन जो बिखरेंगे वो फिर न सिमटेंगे गहरे मन के दाग थे जो दामन से लिपटेंगे पल दो पल की बातें जो सीने पे बोझ सा टहलेंगे रिश्ता वो गुलाब सा , कांटो सा आंग में चुभेंगे चार बोल वो विनम्र से अपना बन कर कह देंगे कुछ हिस्सा वो दर्द का रिश्ते ही बाट लेंगे बस अहम् को दरकिनार कर आना आँखों में प्यार ले आना टूट रहे है जो आज ये आखो से लाहु सा बरसे है लालच की डोर से बंधे ये रिश्ते देख कर आज मन , फिर कहता है दे दे मौत और कर दे रिहा...
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Showing posts from March 13, 2017